चाँद की बेटी
एक छोटी सी बच्ची थी। उसके माँ बाप मर चुके थे। वो बेचारी घर में अकेली रह गई थी। एक अमीर आदमी के घर में उसे बहुत काम करना पड़ता था। वो पानी भर के लाती, खाना पकाती। बच्चों की देख-भाल करती और इतने कामों के बदले उसे बस दो वक़्त की रोटी मिलती। खेलना कूदना तो क्या दो घड़ी आराम भी नहीं कर सकती थी। वो आदमी बहुत चालाक और बे-रहम था और उसकी बीवी तो मियाँ से भी दो क़दम आगे थी।
एक रात चाँद आसमान पर चमक रहा था और बाहर बहुत सख़्त सर्दी थी। अमीर आदमी की बीवी ने उस बच्ची से पानी लाने के लिए कहा। बच्ची पानी भरने बाहर गई। जब वो तालाब पर पहुँची तो सर्दी से उसके पैर पत्थर हो चुके थे। तालाब का पानी भी ऊपर से जमा हुआ था। बच्ची ने बर्फ़ में सुराख़ किया और पानी की बाल्टी भर कर घर वापस आने लगी। घर के क़रीब पहुँच कर वो गिर पड़ी और सारा पानी बह गया। बच्ची घबरा गई। वो ख़ाली बाल्टी लेकर घर नहीं जा सकती थी। वो दरवाज़े पर खड़ी ख़ौफ़ से काँप रही थी। आसमान पर चमकता हुआ चाँद हँस रहा था।
बच्ची ने चाँद से कहा चंदा मामूँ, देखो तो मैं कितनी दुखी हूँ। मेरी मदद करो। मुझे इन ज़ालिमों से बचाओ। ये तो मुझे मार डालेंगे।”
चाँद उसकी फ़रियाद सुन कर ज़मीन पर उतर आया। वो एक ख़ूबसूरत नौजवान के भेस में था और सफ़ेद कपड़े पहने हुए था। चाँद के बड़े भाई सूरज ने भी बच्ची की फ़रियाद सुन ली थी। वो भी आदमी की शक्ल में सुनहरे रंग के कपड़े पहने ज़मीन पर उतर आया।
सूरज ने चाँद से कहा मैं इस दुखी लड़की को लेने आया हूँ। उसे मुझे दे दो। क्योंकि मैं तुमसे बड़ा हूँ।”
चाँद ने कहा ये ठीक है कि तुम बड़े हो सूरज भाई, लेकिन इस वक़्त रात है, और मैं रात का बादशाह हूँ। इस बच्ची ने मुझसे मदद माँगी है। इसलिए मैं उसे अपने साथ ले जाउँगा।”
चाँद बच्ची को अपने बाज़ुओं में उठा कर आसमान की तरफ़ उड़ गया। जब से वो नन्ही बच्ची चाँद में रहती है। जब तुम चौदहवीं का पूरा चाँद देखोगे तो उसमें वो हँसती गाती नज़र आएगी।
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