है आरमीदगी में निकोहिश बजा मुझे
है आरमीदगी में निकोहिश बजा मुझे
सुब्ह-ए-वतन है ख़ंदा-ए-दंदाँ-नुमा मुझे
ढूँडे है उस मुग़ंन्नी-ए-आतिश-नफ़स को जी
जिस की सदा हो जल्वा-ए-बर्क़-ए-फ़ना मुझे
मस्ताना तय करूँ हूँ रह-ए-वादी-ए-ख़याल
ता बाज़-गश्त से न रहे मुद्दआ मुझे
करता है बस-कि बाग़ में तू बे-हिजाबियाँ
आने लगी है निकहत-ए-गुल से हया मुझे
खुलता किसी पे क्यूँ मिरे दिल का मोआ'मला
शे'रों के इंतिख़ाब ने रुस्वा किया मुझे
वाँ रंग-हा ब-पर्दा-ए-तदबीर हैं हुनूज़
याँ शोला-ए-चराग़ है बर्ग-ए-हिना मुझे
परवाज़-हा नियाज़-ए-तमाशा-ए-हुस्न-ए-दोस्त
बाल-ए-कुशादा है निगह-ए-आशना मुझे
अज़-खुद-गुज़श्तगी में ख़मोशी पे हर्फ़ है
मौज-ए-ग़ुबार-ए-सुर्मा हुई है सदा मुझे
ता चंद पस्त फ़ितरती-ए-तब-ए-आरज़ू
या रब मिले बुलंदी-ए-दस्त-ए-दुआ मुझे
मैं ने जुनूँ से की जो 'असद' इल्तिमास-ए-रंग
ख़ून-ए-जिगर में एक ही ग़ोता दिया मुझे
है पेचताब रिश्ता-ए-शम-ए-सहर-गही
ख़जलत गुदाज़ी-ए-नफ़स-ए-ना-रसा मुझे
याँ आब-ओ-दाना मौसम-ए-गुल में हराम है
ज़ुन्नार-ए-वा-गुसिस्ता है मौज-ए-सबा मुझे
यकबार इम्तिहान-ए-हवस भी ज़रूर है
ऐ जोश-ए-इश्क़ बादा-ए-मर्द-आज़मा मुझे
स्रोत:

Deewan-e-Ghalib Jadeed (Al-Maroof Ba Nuskha-e-Hameedia) (Pg. 314)
- लेखक: Mufti Mohammad Anwar-ul-haque
-
- संस्करण: 1904-1982
- प्रकाशक: Madhya Pradesh Urdu Academy ,Bhopal
- प्रकाशन वर्ष: 1904-1982
स्रोत:

Ghair Mutdavil Kalam-e-Ghalib (Pg. 120)
- लेखक: Jamal Abdul Wahid
-
- संस्करण: 2016
- प्रकाशक: Ghalib Academy Basti Hazrat Nizamuddin,New Delhi-13
- प्रकाशन वर्ष: 2016
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.