अमबाला के शायर और अदीब
कुल: 18
सय्यद अब्दुस सत्तार मुफ़्ती
1933 - 1981
सुरूर अम्बालवी
1927
साग़र सिद्दीक़ी
1928 - 1974
सदा अम्बालवी
1951
राजेंद्र सिंह/लोकप्रिय शायर/अपनी गज़ल 'वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे' के लिए मशहूर, जिसे गाया गया है