aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा हो तू परस्तार बुताँ का
मज़हब में मिरे कुफ़्र है इंकार बुताँ का
"ऐ मर्द-ए-ख़ुदा हो तू परस्तार बुताँ का" ग़ज़ल से की ताबाँ अब्दुल हई
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