- पुस्तक सूची 187529
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
गतिविधियाँ34
बाल-साहित्य2033
जीवन शैली23 औषधि1008 आंदोलन298 नॉवेल / उपन्यास4982 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी14
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर69
- दीवान1483
- दोहा51
- महा-काव्य106
- व्याख्या206
- गीत62
- ग़ज़ल1276
- हाइकु12
- हम्द51
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1628
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात706
- माहिया19
- काव्य संग्रह5195
- मर्सिया394
- मसनवी863
- मुसद्दस58
- नात588
- नज़्म1291
- अन्य77
- पहेली16
- क़सीदा193
- क़व्वाली18
- क़ित'अ70
- रुबाई304
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त27
आबिद सुहैल की कहानियाँ
एक मोहब्बत की कहानी
यह एक कुत्ते की आत्मकथानक शैली में लिखी कहानी है। कुत्ते का नाम कॉंग है और वह अपने बचपन से लेकर उस बड़े से घर में आने, अपना नाम रखे जाने और वहाँ मिले प्यार-दुलार को बयान करता है। जिसके बदले में वह अपनी जान तक दे देता है।
सबसे छोटा ग़म
यह एक ऐसी दुखियारी औरत की कहानी है जो अपने हालात से परेशान होकर हज़रत शेख़ सलीम चिश्ती की दरगाह पर जाती है। वह यहाँ उस धागे को ढूंढ़ती है जो उसने सालों पहले उस शख़्स के साथ बाँधा था जिससे वह मोहब्बत करती थी और जो अब उसका था। दरगाह पर और भी बहुत से परेशान हाल मर्द-औरतें हाज़िरी दे रहे थे। वह औरत उन हाज़िरीन की परेशानियों को देख कर दिल ही दिल में सोचती है कि उनके दुखों के आगे उसका ग़म कितना छोटा है।
हनीमून
यह एक ऐसे मनोरोगी की कहानी है जो अकेला ही हनीमून पर जाता है। उसके यार-दोस्त का ख़्याल है कि वह लाज़िमी तौर पर अपनी बीवी के साथ हनीमून पर गया है, जबकि वह होटल के कमरे में तन्हा रहता है। लेकिन उसकी यह तन्हाई ज़्यादा दिनों तक नहीं रहता। उसी होटल में उसे एक दूसरी औरत मिल जाती है।
सवा-नेज़े पर सूरज
शिया-सुन्नी विवाद पर लिखी गई एक प्रतीकात्मक कहानी है। घर के बच्चे हर वक़्त खेलते रहते हैं। वे इतना खेलते हैं कि हर खेल से आजिज़ आ जाते हैं। अब्बू जी उन्हें सोने के लिए कहते हैं, लेकिन वे चुपके से उठ कर दूसरे कमरे में चले जाते हैं। जहाँ वे सब मिलकर शिया-सुन्नी की लड़ाई का खेल खेलते हैं।
रूह से लिपटी हुई आग
कहानी मानवीय स्वभाव की उस सोच पर वार करती है जिसे फ़साद फैलाने और क़त्ल-ओ-ग़ारतगरी के लिए कोई बहाना चाहिए। ऐसी स्वभाव के लोगों के लिए एक छोटी सी अफ़वाह ही काफ़ी होती है। भीड़ भरे बाज़ार वीरान होने लगते हैं, लोग सड़कों से गायब हो जाते हैं और अपने घरों या किसी सुरक्षित जगह पनाह ले लेते हैं। दुकानें लूट ली जाती हैं और घरों को आग लगा दिया जाता है।
दश्त-ए-ताल्लुक़
कहानी एक ऐसे शख़्स के गिर्द घूमती है जो अपने दोस्त से बेपनाह मोहब्बत करता है। उनके बीच वक़्फ़े-वक़्फ़े पर फ़ासले आते रहे हैं लेकिन उसके दिल से अपने दोस्त की याद नहीं जाती। फिर एक दिन जब वह उसके बड़े भाई का पीछा करते हुए दोस्त के घर पहुँच जाता है तो वहाँ दोस्त से मिलकर उसे एहसास होता है कि उनके दरमियान रिश्तों की जो हरारत थी वो तो ख़त्म हो चुकी है।
नौहा-गर
मोहब्बत करने वाला एक जोड़ा मुग़लिया इमारत के दीदार को आता है। वे वहाँ मेहराबों पर अपने से पहले आने वालों के लिखे नाम देखते हैं। एक मेहराब पर ख़ाली जगह देखकर वे दोनों भी अपने नाम का पहला अक्षर लिखते हैं और हमेशा साथ रहने की क़सम खाते हैं। थोड़ी देर बाद कोई शख़्स वहाँ आता है और उस मेहराब पर जहाँ उस जोड़े ने अपना नाम दर्ज कर रखा था, एक नौहा लिखकर चला जाता है। वह जोड़ा वापस उस जगह पर आता है और उस नौहे को पढ़कर एक-दूसरे का थामा हुआ हाथ छोड़ देते हैं।
ग़ुलाम गर्दिश
यह कहानी नौकर और मालिक के उन रिश्तों को बयान करती है, जिसमें मालिक चाहते हुए भी मुसीबत में फंसे अपने नौकर की मदद नहीं कर पाता है, क्योंकि उसे अपनी बदनामी का डर होता है। मालिक बहुत ही धार्मिक और इज्ज़तदार शख़्स है। उसके बड़े भाई का घर उसके घर के सामने है। दोनों भाइयों के नौकरों के लिए अलग-अलग क्वार्टर्स हैं और उस पूरे इलाके़ को गु़लाम गर्दिश कहा जाता है। वहाँ एक नौकरानी बीमार है और वह शख़्स उसकी इस तरह मदद करता है कि किसी तरह की कोई ग़लती सरज़द न हो।
रिश्ते
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है जिसे उसकी गली में भीख माँगता फ़क़ीर बिल्कुल पसंद नहीं है। वह रात की ड्यूटी करता है और सोते वक़्त फ़क़ीर की आवाज़ से उसकी नींद में ख़लल पड़ जाता है। एक दिन बस में सफ़र करते हुए बस से गिर कर एक शख़्स की मौत हो जाती है। कई दिनों बाद पता चलता है कि बस से गिर कर मरने वाला शख़्स कोई और नहीं गली का वह फ़क़ीर ही था। फ़क़ीर की मौत के बाद वह अब सुबह जल्दी उठता है।
ईदगाह
यह कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी से आगे की कथा कहती है। ईदगाह से लौटते हुए हामिद ने अपने साथियों के खिलौनों का मज़ाक़ उड़ाया था और अपने चिमटे का रो‘अ्ब दिखाया था। घर पहुंचने पर उसके साथियों के सारे खिलौने एक-एक कर टूट जाते हैं। उन खिलौनों के टूटने का इल्ज़ाम हामिद पर लगाया जाता है और उसे गिरफ़्तार कर लिया जाता है।
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
गतिविधियाँ34
बाल-साहित्य2033
-