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बानो सरताज की बच्चों की कहानियाँ
दो बाप दो बेटे
हसन और रोहन की दोस्ती गाँव भर में मशहूर थी। बचपन के दोस्त थे, जवानी में भी दोस्ती क़ायम थी। दोनों के मिज़ाज में इतनी हम-आहंगी थी कि एक चीज़ एक को पसंद आती तो दूसरा भी उसे पसंद करने लगता। किसी बात से एक नाराज़ होता तो दूसरा भी उस तरफ़ से रुख़ फेर लेता। दोनों
बिन काँटों का गुलाब
वो एक छोटा सा, प्यारा सा बच्चा था। एक दिन वो स्कूल जाने के लिए निकला। हवा धीरे-धीरे बह रही थी। जब वो उस जगह से गुज़रा जहाँ क्यारियों में बीसियों क़िस्म के गुलाब खिले हुए थे तो गुलाब की ख़ुशबू ने उसके क़दम रोक लिए। उसके दिल में गुलाबों के क़रीब जाने की
बड़ा कौन
वो बड़ी तेज़ी से सपाट चिकनी सड़क पर चली जा रही थी। चल क्या रही थी, समझो उड़ रही थी। नई-नवेली, ज़र्द, सब्ज़ और सफ़ेद रंगों से सजी। वो एक बस थी। सुबह की ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी। बस में सवार मुसाफ़िर नर्म गद्दे वाली सीटों पर नीम-दराज़ मीठी नींद का मज़ा ले रहे
ब्लैकबोर्ड की कहानी
स्कॉट लैंड में एक उस्ताद थे। उनका नाम जेम्स विलएन (James Vilen) था। वो जुग़राफ़िया पढ़ाते थे। उन्हें जुग़राफ़िया पढ़ाने यानी बच्चों को समझाने में अक्सर मुश्किल पेश आती। बच्चे इस मौज़ू में दिलचस्पी नहीं लेते थे। वो किसी ऐसे ज़रीये की तलाश में थे जिससे पहाड़,
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