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जमाल एहसानी

1951 - 1998 | कराची, पाकिस्तान

सबसे महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक पाकिस्तानी शायरों में से एक, अपने विशीष्ट काव्य अनुभव के लिए विख्यात।

सबसे महत्वपूर्ण उत्तर-आधुनिक पाकिस्तानी शायरों में से एक, अपने विशीष्ट काव्य अनुभव के लिए विख्यात।

जमाल एहसानी

ग़ज़ल 104

अशआर 66

उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं

भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई

और अब ये चाहता हूँ कोई ग़म बटाए मिरा

मैं अपनी मिट्टी कभी आप ढोने वाला था

किसी भी वक़्त बदल सकता है लम्हा कोई

इस क़दर ख़ुश भी हो मेरी परेशानी पर

बिछड़ते वक़्त ढलकता गर इन आँखों से

इस एक अश्क का क्या क्या मलाल रह जाता

मनहूस एक शक्ल है जिस से नहीं फ़रार

परछाईं की तरह से बराबर लगी हुई

क़ितआ 1

 

पुस्तकें 2

 

चित्र शायरी 12

वीडियो 21

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

जमाल एहसानी

Jamal Ehsani reciting at a mushaira

जमाल एहसानी

इश्क़ में ख़ुद से मोहब्बत नहीं की जा सकती

जमाल एहसानी

मैं जो कल पैरहन-ए-ख़ाक बदल कर आया

जमाल एहसानी

मैं जो कल पैरहन-ए-ख़ाक बदल कर आया

जमाल एहसानी

एक फ़क़ीर चला जाता है पक्की सड़क पर गाँव की

जमाल एहसानी

किसी भी दश्त किसी भी नगर चला जाता

जमाल एहसानी

चराग़ सामने वाले मकान में भी न था

जमाल एहसानी

मैं ने उस शख़्स की यारी को ज़रूरी जाना

जमाल एहसानी

वो लोग मेरे बहुत प्यार करने वाले थे

जमाल एहसानी

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