Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
noImage

जुरअत क़लंदर बख़्श

1748 - 1809 | लखनऊ, भारत

अपनी शायरी में महबूब के साथ मामला-बंदी के मज़मून के लिए मशहूर, नौजवानी में नेत्रहीन हो गए

अपनी शायरी में महबूब के साथ मामला-बंदी के मज़मून के लिए मशहूर, नौजवानी में नेत्रहीन हो गए

जुरअत क़लंदर बख़्श की ई-पुस्तक

जुरअत क़लंदर बख़्श की पुस्तकें

7

Kulliyat-e-Jurat

Volume-003

Kulliyat-e-Jurat

Volume-001

1970

मुंतख़ब दीवान-ए-जुरअत

गुलदस्ता-ए- मसर्रत

1868

Kulliyat-e-Jurat

1971

Kulliyat-e-Jurat

Volume-002

कुल्लियात-ए-जुर्अत

खण्ड-001

1968

Deewan Jurat

1912

जुरअत क़लंदर बख़्श पर पुस्तकें

2

Kulliyat-e-Shaikh Qalandar Bakhsh Jurat Shagird-e-Hasrat

1883

Qalandar Bakhsh Jurat

1990

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए