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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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मसूद अख़्तर जमाल

1915 - 1981

राष्ट्रीय और देशभक्ति की नज़्मों के शायर,“बाग़ी का तराना”जैसी मशहूर नज़्म के रचयिता,नज़्म “ग़रीबों का गीत”को पंडित नेहरू ने भारत का उद्देश्य कहा था

राष्ट्रीय और देशभक्ति की नज़्मों के शायर,“बाग़ी का तराना”जैसी मशहूर नज़्म के रचयिता,नज़्म “ग़रीबों का गीत”को पंडित नेहरू ने भारत का उद्देश्य कहा था

मसूद अख़्तर जमाल

अशआर 3

वो रिंदान-ए-ख़ुश-औक़ात वो बज़्म-ए-वफ़ा

इशरत-ए-बादा-ए-गुलफ़म किसे नज़्र करूँ

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जिन के लहू से दामन-ए-सहरा है लाला-रंग

नर्गिस-ए-चमन तिरे बीमार वो भी हैं

तौफ़ीक़ जिन को मा'सियत-ए-इश्क़ की नहीं

रहमत-ए-तमाम गुनहगार वो भी हैं

 

ग़ज़ल 13

नज़्म 6

पुस्तकें 5

 

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