- पुस्तक सूची 180477
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1861
औषधि721 आंदोलन273 नॉवेल / उपन्यास3842 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी12
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर63
- दीवान1344
- दोहा65
- महा-काव्य99
- व्याख्या167
- गीत80
- ग़ज़ल879
- हाइकु11
- हम्द35
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1459
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात634
- माहिया17
- काव्य संग्रह4199
- मर्सिया349
- मसनवी740
- मुसद्दस49
- नात481
- नज़्म1086
- अन्य58
- पहेली16
- क़सीदा167
- क़व्वाली19
- क़ित'अ53
- रुबाई269
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम31
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई22
- अनुवाद73
- वासोख़्त24
मिसेज़ अब्दुल क़ादिर की कहानियाँ
शगूफ़ा
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो जवानी में सैर करने के शौक़ में अमरनाथ की यात्रा पर निकल पड़ा था। वहाँ रास्ता भटक जाने के कारण वह एक कश्मीरी गाँव में जा पहुँचा। उस गाँव में उसने उस ख़ूबसूरत लड़की को देखा जिसका नाम शगूफ़ा था। शगूफ़ा को गाँव वाले चुड़ैल समझते थे और उससे डरते थे। गाँव वालों के मना करने के बावजूद वह शगूफ़ा के पास गया, क्योंकि वह उससे मोहब्बत करता था। उसकी मोहब्बत का जवाब देने से पहले शगूफ़ा ने उसे अपनी वो दास्तान सुनाई, जिसके समापन में उसे अपनी जान देनी पड़ी।
सदा-ए-जरस
इस अफ़साने में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसे मिस्र से आई एक हज़ारों साल पुरानी ममी से मोहब्बत हो जाती है। उस ममी को दिखाने के लिए वह अपने एक ख़ास दोस्त को भी बुलाता है। दोस्त के साथ उसकी बीवी भी आती है। वह जब अपने दोस्त को ममी दिखाता है तो साथ ही चाहता है कि वह उसकी तरह उस ममी से अपनी मोहब्बत को व्यक्त करे। दोस्त अपनी बीवी के कारण उससे मोहब्बत का इज़हार नहीं करता। इसके बाद वह अपनी बीवी को लेकर वापस अपने घर चला आता है। फिर कुछ ऐसी घटनाएँ घटनी शुरू होती हैं कि उसकी ज़िंदगी का चक्र उसी के विरुद्ध घूमना शुरू हो जाता है।
गुलनार
कहानी लोगों के अंधविश्वास और उसे हक़ीक़त में पेश करने की दास्तान को बयान करती है। वे दोनों अपनी ज़िंदगी से काफ़ी ख़ुश थे। लेकिन औलाद न होने के कारण उदास भी थे। दिल बहलाने के लिए उसकी बीवी ने गुलनार नाम की बिल्ली पाल रखी थी, जिसे वह बहुत चाहती थी। औलाद के लिए वह दूसरी शादी कर लेता है। यह दूसरी शादी उसकी ज़िंदगी को एक ऐसा मोड़ देती है कि उसे ख़ुद उस पर यक़ीन नहीं आता।
बला-ए-नागहाँ
एक ऐसे व्यक्ति की कहानी, जो अपनी जवानी के दिनों में लकड़ी के कारोबार में लग गया था और काफ़ी अमीर हो गया था। एक दिन लकड़ी की तलाश में वह जंगल में गया और रास्ता भटक गया। वहाँ वह एक क़बीले में जा मिला और उस क़बीले में रहते हुए उसने एक ऐसा ख़्वाब देखा कि जिसकी ता'बीर ने उसे मौत के मुँह में पहुँचा दिया।
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
Get Tickets
-
बाल-साहित्य1861
-