- पुस्तक सूची 182762
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1917
औषधि861 आंदोलन289 नॉवेल / उपन्यास4227 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी11
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1430
- दोहा65
- महा-काव्य98
- व्याख्या182
- गीत81
- ग़ज़ल1047
- हाइकु12
- हम्द39
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1534
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात663
- माहिया19
- काव्य संग्रह4779
- मर्सिया372
- मसनवी811
- मुसद्दस56
- नात522
- नज़्म1172
- अन्य67
- पहेली16
- क़सीदा179
- क़व्वाली19
- क़ित'अ57
- रुबाई289
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती12
- शेष-रचनाएं27
- सलाम32
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई28
- अनुवाद73
- वासोख़्त26
मुमताज़ शीरीं की कहानियाँ
घर तक
अपने गाँव जाते एक ऐसे शख़्स की कहानी, जो रास्ता भटक गया है। उसके साथ एक सहायक भी है जिसे वह रास्ते में कहानी सुनाता है। रास्ता तलाश करते शाम हो जाती है तो उन्हें दूर से मशाल जलने और औरतों के रोने की आवाज़ आती है। क़रीब जाने पर पता चलता है कि रोने वाली उसकी माँ और बहन हैं। वे दोनों उसके छोटे भाई की क़ब्र के पास रो रही हैं, जिसके लिए वह शहर से खिलौने और कपड़े लेकर आया था।
कफ़्फ़ारा
ज़िंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती एक ऐसी औरत की कहानी है, जो दर्द-ए-ज़ह (प्रसव पीड़ा) से परेशान है, मरा हुआ बच्चा पैदा होता है और औरत की जान बच जाती है। ख़ुद को ज़िंदा सलामत पाकर औरत कहती है कि मैंने किसी ज़िंदगी को नहीं मौत को जन्म देने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी। इसके साथ ही वह यह भी सवाल करती है कि इस क़फ्फारे के लिए उसे क्यों चुना गया? एक औरत ही क्यों, किसी मर्द को क्यों नहीं?
अपनी नगरिया
अदब से जुनून की हद तक मोहब्बत करने वाले एक ऐसे जोड़े की कहानी जो एक अदबी रिसाला निकलाता है। अपने रिसाले को बेहतर और दूसरों से अलग बनाने के लिए दूसरी ज़बानों के शाहकार के उर्दू अनुवाद अपने रिसाले में छापते हैं। धीरे-धीरे उन्हें इस बात का एहसास होने लगता है कि मुल्क में इस क़िस्म के रिसालों की कोई क़द्र नहीं है और उनके लिए रिसाला के मेयार को बरक़रार रखना दुश्वार हो जाता है।
अंगड़ाई
एक ऐसी लड़की की कहानी जो अपनी प्रोफे़सर की मोहब्बत में मुब्तिला है। पूरे कॉलेज में उनके मुआशिक़े का ज़िक्र होता रहता है। इसी दरमियान लड़की के घर वाले लड़की की मंगनी कर देते हैं, फिर भी लड़की अपनी प्रोफे़सर की मोहब्बत को भूल नहीं पाती। धीरे धीरे अपने होने वाले शौहर की याद और मर्द की दिलकशी ख़ातून प्रोफे़सर में उसकी दिलचस्पी को ख़त्म कर देती है।
घनेरी बदलियों में
यह एक ऐसी औरत की कहानी है जिसका पति हमेशा किताबों में खोया रहता है। वह उसे रूमान-ओ-मुहब्बत की दुनिया में लाने की लगातार कोशिश करती है, लेकिन सब व्यर्थ। पति के पास अपनी पत्नी के लिए समय ही नहीं होता। जब उनकी नई-नई शादी हुई थी तो पूरे साल पति ने कोई दूसरा काम नहीं किया था। बस हर वक़्त बीवी के इर्द-गिर्द मँडलाता रहता था। लेकिन अब वह अपने काम और दोस्तों में इतना व्यस्त रहता है कि उसे पत्नी का ख़याल ही नहीं आता। पत्नी उसका यह रवय्या देखकर हर वक़्त कुढ़ती रहती है। फिर एक रात ऐसी आई कि उसने उन दोनों की ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया था।
आईना
आदम-क़द आईने के सामने खड़ी एक ऐसी लड़की की कहानी, जो आईने में अपना अक्स देखकर अपने जज़्बात व ख़यालात का इज़हार कर रही है। वह हँस रही है क्योंकि वह खु़श है। खु़श वह इसलिए है कि वह इम्तिहान में कामयाब हो गई है। तभी घर की ख़ादिमा उसे बताती है कि नानी बी नहीं रहीं। नानी बी की मौत की ख़बर सुनकर उसका चेहरा उतर जाता है और उस अनजान औरत ख़ातून के साथ बीता उसका बचपन आँखों के सामने घूमने लगता है।
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1917
-