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नियाज़ फ़तेहपुरी की कहानियाँ
दर्स-ए-मोहब्बत
यह यूनान की अपने ज़माने में सबसे ख़ूबसूरत लड़की की कहानी है, जो ज़ोहरा देवी के मंदिर में रहती है। उसके हुस्न के चर्चे हर तरफ़ हैं। यहाँ तक कि उस मुल्क का शहज़ादा भी उसका दीवाना है। एक रात वह उससे एक नदी के किनारे मिलता है और वहाँ वह शहज़ादे को मोहब्बत का ऐसा दर्स देती है कि जिसमें वह फे़ल हो जाता है और वह हसीन लड़की एक किसान के बेटे के साथ शादी कर लेती है।
दो घंटे जहन्नम में
यह दर्द से तड़पते एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जिसके बारे में डॉक्टर का कहना है कि यह केवल दो घंटे और ज़िंदा रहेगा। डॉक्टर के यह कहने के कुछ देर बाद ही वह शख़्स बेहोश हो जाता है और उसे महसूस होता है कि फ़रिश्ते उसे आसमान पर ले जा रहे हैं। वहाँ वह जहन्नुम के अलग-अलग हिस्से को देखता है और दो घंटे के बाद जब उसे होश आता है तो वह अपनी बीवी को चारपाई के पास बैठे रोते हुए पाता है।
मोहब्बत की देवी
यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो अपने हुस्न और पाक-दामनी की वजह से पूरे इलाक़े में मशहूर है। वह जब मंदिर में पूजा करने आती है, उसकी एक झलक पाने के लिए वहाँ सैंकड़ों लड़कों की क़तार लगी रहती है। मगर न चाहते हुए भी जिसकी मोहब्बत में तड़पते हुए वह अपनी जान दे देती है, वह कोई और नहीं, मोहम्मद क़ासिम होता है।
दुनिया का अव्वलीन बुतसाज़
यह कहानी औरत और मर्द के पेचीदा रिश्तों के बारे में बात करती है। दुनिया का सबसे पहले बुत-साज़ अनजाने में एक बुत बना देता है। जब वह उस बुत को ग़ौर से देखता है तो वह एक औरत का बुत होता है। उस औरत में जान ड़ालने के लिए वह रात, दिन, चाँद-सूरज, सितारे हर किसी से मिन्नत करता है। आख़िरकार वह औरत जीती-जागती इंसान बन जाती है। इसके साथ ही उसमें बुत-साज़ की सारी दिलचस्पी ख़त्म हो जाती है।
दो ख़त
दो दोस्तों की कहानी, जो कॉलेज से निकलने के एक अर्सा बाद एक-दूसरे को ख़त लिखते हैं। इस दरमियान उन दोनों की शादी हो चुकी होती है। मगर उन्हें जिस तरह के जीवन-साथी मिले हैं उनसे वह इतने तंग आ चुके हैं कि उनके पास एक-दूसरे के हालात पर हंसने के अलावा और कोई चारा नहीं होता है।
शहीद-ए-आज़ादी
दौलत और शोहरत को परिवार और रिश्तों से ज़्यादा अहमियत देने वाली एक ऐसी औरत की कहानी, जिसकी शादी एक बिजनेसमैन से हो जाती है। लेकिन शादी के बाद भी वह अपनी ज़िंदगी में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं करती। उसका शौहर बिजनेस के सिलसिले में विदेश चला जाता है, तभी उसकी ज़िंदगी में एक बिगड़ा हुआ अमीर-ज़ादा आता है, जो उसकी ज़िंदगी को मौत के कगार तक ले जाता है।
ज़ोहरा का एक पुजारी
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो यूनान में प्रेम की देवी ज़ोहरा के मंदिर का पुजारी है। अपने संगीत और दर्द भरे अश्आर से वह पूरे देश में मशहूर हो जाता है। यहाँ तक कि बादशाह की बेटी भी उसकी दीवानी होकर उससे मिलने आती है। मगर वह उसके प्रस्ताव को ठुकरा देता है और ज़्यादा ज़ोर देने पर ख़ुदकुशी कर लेता है।
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बाल-साहित्य1924
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