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ज़किया मशहदी की बच्चों की कहानियाँ
दानियाल, दादा और जायसी
दिल्ली का ईस्ट आफ़ कैलाश खाते-पीते, पढ़े-लिखे लोगों का इलाक़ा है। उसी से मिला हुआ गढ़ी। गढ़ी में जो लोग रहते हैं वो इतने पैसे वाले नहीं हैं। ज़्यादा तालीम-याफ़्ता भी नहीं हैं। सुनते हैं गढ़ी पहले एक देहात था। अब भी देहात जैसा ही लगता है। मकान बहुत मामूली
दानियाल और चिड़िया
छः साल के दानियाल को चिड़ियाँ बहुत अच्छी लगती थीं। उड़ती, फुदकती, चहचहाती चिड़ियाँ देख कर वो बहुत ख़ुश होते। हरे-हरे तोते उन्हें ख़ास तौर पर अच्छे लगते थे। एक बार दानियाल ने अपनी मम्मी से कहा कि वो तोता पालना चाहते हैं। लेकिन मम्मी ने बताया कि तोते क़ैद
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