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मेरे अशआर तमव्वुज पे जो आए हुए हैं

अरशद अब्दुल हमीद

मेरे अशआर तमव्वुज पे जो आए हुए हैं

अरशद अब्दुल हमीद

MORE BYअरशद अब्दुल हमीद

    मेरे अशआर तमव्वुज पे जो आए हुए हैं

    आब हैरत से ये मज़मून उठाए हुए हैं

    शोख़ियाँ काम आईं तो हया धर लेगी

    उस ने आँखों को कई दाव सिखाए हुए हैं

    कुछ सितारे मिरी पलकों पे चमकते हैं अभी

    कुछ सितारे मिरे सीने में समाए हुए हैं

    अब वो इंसान कहाँ जिन से फ़रिश्ते शरमाएँ

    हम तो इंसान का बस भेस बनाए हुए हैं

    ग़ैर को जम्अ करो दुश्मन-ए-जाँ को बुलवाओ

    दोस्तो हम किसी अपने के सताए हुए हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : Ghazal Ke Rang (पृष्ठ 46)
    • रचनाकार : Akram Naqqash, Sohil Akhtar
    • प्रकाशन : Aflaak Publications, Gulbarga (2014)
    • संस्करण : 2014

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