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रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया

बाक़ी सिद्दीक़ी

रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया

बाक़ी सिद्दीक़ी

MORE BYबाक़ी सिद्दीक़ी

    रंग-ए-दिल रंग-ए-नज़र याद आया

    तेरे जल्वों का असर याद आया

    वो नज़र बन गई पैग़ाम-ए-हयात

    हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर याद आया

    ये ज़माना ये दिल-ए-दीवाना

    रिश्ता-ए-संग-ओ-गुहर याद आया

    ये नया शहर ये रौशन राहें

    अपना अंदाज़-ए-सफ़र याद आया

    राह का रूप बनी धूप अपनी

    कोई साया शजर याद आया

    कब उस शहर में पत्थर बरसे

    कब उस शहर में सर याद आया

    घर में था दश्त-नवर्दी का ख़याल

    दश्त में आए तो घर याद आया

    गर्द उड़ती है सर-ए-राह-ए-ख़याल

    दिल-ए-नादाँ का सफ़र याद आया

    एक हँसती हुई बदली देखी

    एक जलता हुआ घर याद आया

    इस तरह शाम के साए फैले

    रात का पिछ्ला पहर याद आया

    फिर चले घर से तमाशा बन कर

    फिर तिरा रौज़न-ए-दर याद आया

    किसी पत्थर की हक़ीक़त ही क्या

    दिल का आईना मगर याद आया

    आँच दामान-ए-सबा से आई

    ए'तिबार-ए-गुल-ए-तर याद आया

    दिल जला धूप में ऐसा अब के

    पाँव याद आए सर याद आया

    गर पड़े हाथ से काग़ज़ 'बाक़ी'

    अपनी मेहनत का समर याद आया

    स्रोत :
    • पुस्तक : Bar-e-Safar (पृष्ठ 84)
    • रचनाकार : Baqi Siddiqui
    • प्रकाशन : Maktaba Urdu Daijest, Lahore (1969)
    • संस्करण : 1969

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