Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

MORE BYफ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    रोचक तथ्य

    With this poem, Faiz’s focus changes from traditional Urdu poetry to “poetry with purpose”, poetry with social conscience pursuing social causes. And Faiz admitted it, before the start of this poem, with a quote from a Persian poet, Nizami: “Dil-e-bufro-khatm, jaan-e-khareedun” ( “I have sold my heart and bought a soul”)

    मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब माँग

    मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात

    तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दहर का झगड़ा क्या है

    तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात

    तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है

    तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए

    यूँ था मैं ने फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए

    और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

    राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

    अन-गिनत सदियों के तारीक बहीमाना तिलिस्म

    रेशम अतलस कमख़ाब में बुनवाए हुए

    जा-ब-जा बिकते हुए कूचा-ओ-बाज़ार में जिस्म

    ख़ाक में लुथड़े हुए ख़ून में नहलाए हुए

    जिस्म निकले हुए अमराज़ के तन्नूरों से

    पीप बहती हुई गलते हुए नासूरों से

    लौट जाती है उधर को भी नज़र क्या कीजे

    अब भी दिलकश है तिरा हुस्न मगर क्या कीजे

    और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

    राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

    मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब माँग

    वीडियो
    This video is playing from YouTube

    Videos
    This video is playing from YouTube

    सीमा सहगल

    सीमा सहगल

    ज़ोहरा सहगल

    ज़ोहरा सहगल

    फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    राधिका चोपड़ा

    राधिका चोपड़ा

    शबनम मजीद

    शबनम मजीद

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    रजनी पल्लवी

    रजनी पल्लवी

    आसिफ़ रज़ा

    आसिफ़ रज़ा

    अज्ञात

    अज्ञात

    टीना सानी

    टीना सानी

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    अज्ञात

    RECITATIONS

    नूर जहाँ

    नूर जहाँ,

    फ़हद हुसैन

    फ़हद हुसैन,

    फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,

    नूर जहाँ

    मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग नूर जहाँ

    फ़हद हुसैन

    मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग फ़हद हुसैन

    फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

    स्रोत :

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए