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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अदा जाफ़री

1924 - 2015 | कराची, पाकिस्तान

महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायरा, अपनी नर्म और सुगढ़ शायरी के लिए विख्यात।

महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायरा, अपनी नर्म और सुगढ़ शायरी के लिए विख्यात।

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अदा जाफ़री

तौफ़ीक़ से कब कोई सरोकार चले है

अदा जाफ़री

शिकस्त-ए-साज़

मैं ने गुल-रेज़ बहारों की तमन्ना की थी अदा जाफ़री

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Na ghubaar mein na gulaab mein mujhe dekhna

Na ghubaar mein na gulaab mein mujhe dekhna अज्ञात

होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए

होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए अमानत अली ख़ान

अचानक दिलरुबा मौसम का दिल-आज़ार हो जाना

अचानक दिलरुबा मौसम का दिल-आज़ार हो जाना अज्ञात

आलम ही और था जो शनासाइयों में था

आलम ही और था जो शनासाइयों में था अज्ञात

काँटा सा जो चुभा था वो लौ दे गया है क्या

काँटा सा जो चुभा था वो लौ दे गया है क्या अज्ञात

गुलों को छू के शमीम-ए-दुआ नहीं आई

गुलों को छू के शमीम-ए-दुआ नहीं आई अज्ञात

गुलों सी गुफ़्तुगू करें क़यामतों के दरमियाँ

गुलों सी गुफ़्तुगू करें क़यामतों के दरमियाँ अज्ञात

घर का रस्ता भी मिला था शायद

घर का रस्ता भी मिला था शायद अज्ञात

जो चराग़ सारे बुझा चुके उन्हें इंतिज़ार कहाँ रहा

जो चराग़ सारे बुझा चुके उन्हें इंतिज़ार कहाँ रहा अज्ञात

दीप था या तारा क्या जाने

दीप था या तारा क्या जाने अज्ञात

हर इक दरीचा किरन किरन है जहाँ से गुज़रे जिधर गए हैं

हर इक दरीचा किरन किरन है जहाँ से गुज़रे जिधर गए हैं अज्ञात

हर गाम सँभल सँभल रही थी

हर गाम सँभल सँभल रही थी अज्ञात

हाल खुलता नहीं जबीनों से

हाल खुलता नहीं जबीनों से अज्ञात

होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए

होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए अमानत अली ख़ान

होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए

होंटों पे कभी उन के मिरा नाम ही आए हामिद अली ख़ान

शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

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