अदील ज़ैदी

ग़ज़ल 21

नज़्म 10

अशआर 26

दे हौसले की दाद के हम तेरे ग़म में आज

बैठे हैं महफ़िलों को सजाए तिरे बग़ैर

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मैं इस से क़ीमती शय कोई खो नहीं सकता

'अदील' माँ की जगह कोई हो नहीं सकता

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कहाँ के माहिर-ओ-कामिल हो तुम हुनर में 'अदील'

तुम्हारे काम तो पर्वरदिगार करता है

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दिल की धड़कन को सुना ग़ौर से कल रात 'अदील'

जिस को मैं ढूँढता रहता हूँ बसा है मुझ में

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हर तरफ़ अपने ही अपने हाए तन्हाई पूछ

किस क़दर खलती है अक्सर हम को बीनाई पूछ

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क़ितआ 1

 

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

अदील ज़ैदी

क़र्ज़-ए-जाँ से निमट रही है हयात

अदील ज़ैदी

दुकान-दार

ये ताजिरान-ए-दीन हैं अदील ज़ैदी

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