अहमद जहाँगीर
ग़ज़ल 17
अशआर 8
एक तरफ़ कुछ होंट मोहब्बत की रौशन आयात पढ़ें
इक सफ़ में हथियार सजाए सारे जंग-परस्त रहें
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere