अहसन मारहरवी
ग़ज़ल 20
अशआर 23
क़ासिद नई अदा से अदा-ए-पयाम हो
मतलब ये है कि बात न हो और कलाम हो
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जब मुलाक़ात हुई तुम से तो तकरार हुई
ऐसे मिलने से तो बेहतर है जुदा हो जाना
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तमाम उम्र इसी रंज में तमाम हुई
कभी ये तुम ने न पूछा तिरी ख़ुशी क्या है
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मौत ही आप के बीमार की क़िस्मत में न थी
वर्ना कब ज़हर का मुमकिन था दवा हो जाना
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