संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल136
नज़्म7
शेर141
हास्य11
ई-पुस्तक81
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वीडियो7
क़ितआ37
रुबाई54
क़िस्सा8
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मुखम्मस1
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल 136
नज़्म 7
अशआर 141
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
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इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
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हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना
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हास्य 11
क़ितआ 37
रुबाई 54
क़िस्सा 8
पुस्तकें 81
चित्र शायरी 15
हर एक से सुना नया फ़साना हम ने देखा दुनिया में एक ज़माना हम ने अव्वल ये था कि वाक़फ़ियत पे था नाज़ आख़िर ये खुला कि कुछ न जाना हम ने
वीडियो 7
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