अकबर मासूम
ग़ज़ल 13
अशआर 10
उजाला है जो ये कौन-ओ-मकाँ में
हमारी ख़ाक से लाया गया है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ऐसा एक मक़ाम हो जिस में दिल जैसी वीरानी हो
यादों जैसी तेज़ हवा हो दर्द से गहरा पानी हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तिरे ग़ुरूर की इस्मत-दरी पे नादिम हूँ
तिरे लहू से भी दामन है दाग़दार मिरा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वो और होंगे जो कार-ए-हवस पे ज़िंदा हैं
मैं उस की धूप से साया बदल के आया हूँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
है मुसीबत में गिरफ़्तार मुसीबत मेरी
जो भी मुश्किल है वो मेरे लिए आसानी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वीडियो 4
This video is playing from YouTube