अख़्तर नज़्मी के शेर
वो ज़हर देता तो सब की निगह में आ जाता
सो ये किया कि मुझे वक़्त पे दवाएँ न दीं
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टैग : धोखा
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अब नहीं लौट के आने वाला
घर खुला छोड़ के जाने वाला
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मिरी तरफ़ से तो टूटा नहीं कोई रिश्ता
किसी ने तोड़ दिया ए'तिबार टूट गया
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नाव काग़ज़ की छोड़ दी मैं ने
अब समुंदर की ज़िम्मेदारी है
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