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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अल्ताफ़ मशहदी

1914 - 1981 | सरगोधा, पाकिस्तान

इंक़लाब और हुस्न-ओ-इश्क़ के शायर,नाटककार,गीतकार, मुशाएरा के बड़े शायर ,अपनी नज़्म “झूम कर उठो वतन आज़ाद करने के लिए” की वजह से मशहूर

इंक़लाब और हुस्न-ओ-इश्क़ के शायर,नाटककार,गीतकार, मुशाएरा के बड़े शायर ,अपनी नज़्म “झूम कर उठो वतन आज़ाद करने के लिए” की वजह से मशहूर

अल्ताफ़ मशहदी

ग़ज़ल 17

नज़्म 4

 

अशआर 3

टपके जो अश्क वलवले शादाब हो गए

कितने अजीब इश्क़ के आदाब हो गए

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पी के जीते हैं जी के पीते हैं

हम को रग़बत है ऐसे जीने से

फिर दयार-ए-हिन्द को आबाद करने के लिए

झूम कर उट्ठो वतन आज़ाद करने के लिए

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गीत 1

 

पुस्तकें 8

 

"सरगोधा" के और शायर

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