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अमीर क़ज़लबाश

1943 - 2003 | दिल्ली, भारत

लोकप्रिय शायर और फि़ल्म गीतकार/प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली के गीतों के लिए मशहूर

लोकप्रिय शायर और फि़ल्म गीतकार/प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली के गीतों के लिए मशहूर

अमीर क़ज़लबाश

ग़ज़ल 43

अशआर 40

मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा

इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा

लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं

मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है

उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी

ख़मोशी से गुज़र जाऊँगा मैं भी

इक परिंदा अभी उड़ान में है

तीर हर शख़्स की कमान में है

यकुम जनवरी है नया साल है

दिसम्बर में पूछूँगा क्या हाल है

पुस्तकें 7

 

चित्र शायरी 4

 

ऑडियो 20

अपने हमराह ख़ुद चला करना

आँखें खुली हुई हैं तो मंज़र भी आएगा

इक परिंदा अभी उड़ान में है

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