अम्मार इक़बाल
ग़ज़ल 13
नज़्म 2
अशआर 12
उस ने नासूर कर लिया होगा
ज़ख़्म को शाएरी बनाते हुए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
कैसे कैसे बना दिए चेहरे
अपनी बे-चेहरगी बनाते हुए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं आईनों को देखे जा रहा था
अब इन से बात भी करने लगा हूँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं ने चाहा था ज़ख़्म भर जाएँ
ज़ख़्म ही ज़ख़्म भर गए मुझ में
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हाथ जिस को लगा नहीं सकता
उस को आवाज़ तो लगाने दो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए