अरसलान राठोर
ग़ज़ल 17
अशआर 1
चाँद उठा कर ले जाते थे दिल की रुपहली कश्ती में
पिछले पहर की सरदाबी से आँख को ताज़ा करते थे
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere