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असद भोपाली

1921 - 1990 | भोपाल, भारत

फ़िल्म गीतकार

फ़िल्म गीतकार

असद भोपाली

ग़ज़ल 14

अशआर 15

इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले

वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते

मौज-ए-हवादिस तुझे मालूम नहीं क्या

हम अहल-ए-मोहब्बत हैं फ़ना हो नहीं सकते

ऐसे इक़रार में इंकार के सौ पहलू हैं

वो तो कहिए कि लबों पे तबस्सुम आए

हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे

अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई

जब ज़रा रात हुई और मह अंजुम आए

बार-हा दिल ने ये महसूस किया तुम आए

पुस्तकें 2

 

चित्र शायरी 2

 

ऑडियो 5

कुछ भी हो वो अब दिल से जुदा हो नहीं सकते

गिराँ गुज़रने लगा दौर-ए-इंतिज़ार मुझे

जब ज़रा रात हुई और मह ओ अंजुम आए

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