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एहसान दानिश

1914 - 1982 | लाहौर, पाकिस्तान

20वीं सदी के चौथे और पाँचवे दशकों के सबसे लोकप्रिय शायरों में से एक, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के समकालीन।

20वीं सदी के चौथे और पाँचवे दशकों के सबसे लोकप्रिय शायरों में से एक, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के समकालीन।

एहसान दानिश

ग़ज़ल 61

अशआर 40

आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज

उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद गए

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ये उड़ी उड़ी सी रंगत ये खुले खुले से गेसू

तिरी सुब्ह कह रही है तिरी रात का फ़साना

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रहता नहीं इंसान तो मिट जाता है ग़म भी

सो जाएँगे इक रोज़ ज़मीं ओढ़ के हम भी

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किस किस की ज़बाँ रोकने जाऊँ तिरी ख़ातिर

किस किस की तबाही में तिरा हाथ नहीं है

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तुम सादा-मिज़ाजी से मिटे फिरते हो जिस पर

वो शख़्स तो दुनिया में किसी का भी नहीं है

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क़ितआ 24

क़िस्सा 3

 

पुस्तकें 32

चित्र शायरी 2

 

वीडियो 16

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

एहसान दानिश

एहसान दानिश

एहसान दानिश

एहसान दानिश

कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर

एहसान दानिश

यूँ न मिल मुझ से ख़फ़ा हो जैसे

एहसान दानिश

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Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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