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फ़ाएज़ देहलवी

1690 - 1738 | दिल्ली, भारत

मीर से पहले के मशहूर शायर, उर्दू शायरी के संस्थापक

मीर से पहले के मशहूर शायर, उर्दू शायरी के संस्थापक

फ़ाएज़ देहलवी

ग़ज़ल 30

अशआर 21

मुझ को औरों से कुछ नहीं है काम

तुझ से हर दम उमीद-वारी है

रात दिन तू रहे रक़ीबाँ-संग

देखना तेरा मुझ मुहाल हुआ

वो तमाशा खेल होली का

सब के तन रख़्त-ए-केसरी है याद

गुड़ सीं मीठा है बोसा तुझ लब का

इस जलेबी में क़ंद शक्कर है

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हुस्न बे-साख़्ता भाता है मुझे

सुर्मा अँखियाँ में लगाया करो

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मसनवी 1

 

पुस्तकें 5

 

ऑडियो 5

ख़ूबाँ के बीच जानाँ मुम्ताज़ है सरापा

जब सजीले ख़िराम करते हैं

तुझ बिना दिल को बे-क़रारी है

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