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jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Faheem Shanas Kazmi's Photo'

फ़हीम शनास काज़मी

1965 | कराची, पाकिस्तान

फ़हीम शनास काज़मी

ग़ज़ल 14

नज़्म 24

अशआर 20

बदलते वक़्त ने बदले मिज़ाज भी कैसे

तिरी अदा भी गई मेरा बाँकपन भी गया

उसी ने चाँद के पहलू में इक चराग़ रखा

उसी ने दश्त के ज़र्रों को आफ़्ताब किया

तुम्हारी याद निकलती नहीं मिरे दिल से

नशा छलकता नहीं है शराब से बाहर

जिन को छू कर कितने 'ज़ैदी' अपनी जान गँवा बैठे

मेरे अहद की शहनाज़ों के जिस्म बड़े ज़हरीले थे

गुज़रा मिरे क़रीब से वो इस अदा के साथ

रस्ते को छू के जिस तरह रस्ता गुज़र गया

पुस्तकें 2

 

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