Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Farigh Bukhari's Photo'

फ़ारिग़ बुख़ारी

1917 - 1997 | पाकिस्तान

एक प्रख्यात प्रगतिशील कवि, ग़ज़ल और साहित्यिक पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान

एक प्रख्यात प्रगतिशील कवि, ग़ज़ल और साहित्यिक पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान

फ़ारिग़ बुख़ारी

ग़ज़ल 36

नज़्म 5

 

अशआर 20

सफ़र में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं

मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने

याद आएँगे ज़माने को मिसालों के लिए

जैसे बोसीदा किताबें हों हवालों के लिए

पुकारा जब मुझे तन्हाई ने तो याद आया

कि अपने साथ बहुत मुख़्तसर रहा हूँ मैं

कितने शिकवे गिले हैं पहले ही

राह में फ़ासले हैं पहले ही

दो दरिया भी जब आपस में मिलते हैं

दोनों अपनी अपनी प्यास बुझाते हैं

पुस्तकें 23

चित्र शायरी 2

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए