Fatima Hasan's Photo'

प्रतिष्ठित शायरा

प्रतिष्ठित शायरा

फ़ातिमा हसन

ग़ज़ल 22

नज़्म 9

अशआर 26

क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं

वो तो मिलने को मुलाक़ात समझता ही नहीं

सुकून-ए-दिल के लिए इश्क़ तो बहाना था

वगरना थक के कहीं तो ठहर ही जाना था

ख़्वाबों पर इख़्तियार यादों पे ज़ोर है

कब ज़िंदगी गुज़ारी है अपने हिसाब में

उलझ के रह गए चेहरे मिरी निगाहों में

कुछ इतनी तेज़ी से बदले थे उन की बात के रंग

मैं ने माँ का लिबास जब पहना

मुझ को तितली ने अपने रंग दिए

लेख 1

 

पुस्तकें 14

वीडियो 16

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Al-ama_Nazm

Eminent progressive writer, Poet Fatema Hassan, known for taking up sensitive issues related to feminism, reciting her poetry at Rekhta Studio. फ़ातिमा हसन

ankahi ka dukh

Eminent progressive writer, Poet Fatema Hassan, known for taking up sensitive issues related to feminism, reciting her poetry at Rekhta Studio. फ़ातिमा हसन

फ़ातिमा हसन

Eminent progressive writer and Poet Fatema Hassan, known for taking up sensitive issues related to feminism is reciting her poetry at Rekhta Studio. फ़ातिमा हसन

अच्छा लगता है

मुझे फूलों का मौसम फ़ातिमा हसन

आँखों में न ज़ुल्फ़ों में न रुख़्सार में देखें

फ़ातिमा हसन

क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं

फ़ातिमा हसन

क़ुर्बतों में फ़ासले कुछ और हैं

फ़ातिमा हसन

कौन ख़्वाहिश करे कि और जिए

फ़ातिमा हसन

ख़्वाब गिरवी रख दिए आँखों का सौदा कर दिया

फ़ातिमा हसन

नहीं समझी थी जो समझा रही हूँ

फ़ातिमा हसन

नहीं समझी थी जो समझा रही हूँ

फ़ातिमा हसन

मनाज़िर ख़ूब-सूरत हैं

मनाज़िर ख़ूब-सूरत हैं फ़ातिमा हसन

मेरी बेटी चलना सीख गई

मेरी बेटी उँगली छोड़ के फ़ातिमा हसन

मिरी ज़मीं पे लगी आप के नगर में लगी

फ़ातिमा हसन

ऑडियो 17

आँखों में न ज़ुल्फ़ों में न रुख़्सार में देखें

क्या कहूँ उस से कि जो बात समझता ही नहीं

किस से बिछड़ी कौन मिला था भूल गई

Recitation

"कराची" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए