हमदम कशमीरी
ग़ज़ल 26
अशआर 3
बदले हुए से लगते हैं अब मौसमों के रंग
पड़ता है आसमान का साया ज़मीन पर
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ख़ुदाया आजिज़ी से मैं ने माँगा क्या मिला क्या
असर मेरी दुआओं का ये उल्टा क्यूँ हुआ है
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कहीं पे नक़्स मिले और कोई बात बने
वो ढूँडते हैं मिरे सूद में ज़ियाँ सा कुछ
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