aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हसन अब्बास रज़ा

ग़ज़ल 22

नज़्म 9

अशआर 20

मोहब्बतें तो फ़क़त इंतिहाएँ माँगती हैं

मोहब्बतों में भला ए'तिदाल क्या करना

धड़कती क़ुर्बतों के ख़्वाब से जागे तो जाना

ज़रा से वस्ल ने कितना अकेला कर दिया है

बच्चों के साथ आज उसे देखा तो दुख हुआ

उन में से कोई एक भी माँ पर नहीं गया

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तअल्लुक़ तोड़ने में पहल मुश्किल मरहला था

चलो हम ने तुम्हारा बोझ हल्का कर दिया है

जुदाई की रुतों में सूरतें धुँदलाने लगती हैं

सो ऐसे मौसमों में आइना देखा नहीं करते

पुस्तकें 8

 

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