संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल69
नज़्म1
शेर87
ई-पुस्तक312
टॉप 20 शायरी 20
चित्र शायरी 12
ऑडियो 28
वीडियो15
गेलरी 2
ब्लॉग2
अन्य
नअत1
हसरत मोहानी के शेर
वाक़िफ़ हैं ख़ूब आप के तर्ज़-ए-जफ़ा से हम
इज़हार-ए-इल्तिफ़ात की ज़हमत न कीजिए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़ूब-रूयों से यारियाँ न गईं
दिल की बे-इख़्तियारियाँ न गईं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तोड़ कर अहद-ए-करम ना-आश्ना हो जाइए
बंदा-परवर जाइए अच्छा ख़फ़ा हो जाइए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जबीं पर सादगी नीची निगाहें बात में नरमी
मुख़ातिब कौन कर सकता है तुम को लफ़्ज़-ए-क़ातिल से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ
कश्ती मिरी डुबोई है साहिल के आस-पास
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ग़म-ए-आरज़ू का 'हसरत' सबब और क्या बताऊँ
मिरी हिम्मतों की पस्ती मिरे शौक़ की बुलंदी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मुझ को देखो मिरे मरने की तमन्ना देखो
फिर भी है तुम को मसीहाई का दा'वा देखो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मुनहसिर वक़्त-ए-मुक़र्रर पे मुलाक़ात हुई
आज ये आप की जानिब से नई बात हुई
-
टैग : मुलाक़ात
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
'हसरत' बहुत है मर्तबा-ए-आशिक़ी बुलंद
तुझ को तो मुफ़्त लोगों ने मशहूर कर दिया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पुर्सिश-ए-हाल पे है ख़ातिर-ए-जानाँ माइल
जुरअत-ए-कोशिश-ए-इज़हार कहाँ से लाऊँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ग़ैर की नज़रों से बच कर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वो तिरा चोरी-छुपे रातों को आना याद है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पैग़ाम-ए-हयात-ए-जावेदाँ था
हर नग़्मा-ए-कृष्ण बाँसुरी का
-
टैग : श्री कृष्ण शायरी
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हक़ीक़त खुल गई 'हसरत' तिरे तर्क-ए-मोहब्बत की
तुझे तो अब वो पहले से भी बढ़ कर याद आते हैं
-
टैग : याद
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
छुप नहीं सकती छुपाने से मोहब्बत की नज़र
पड़ ही जाती है रुख़-ए-यार पे हसरत की नज़र
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कहाँ हम कहाँ वस्ल-ए-जानाँ की 'हसरत'
बहुत है उन्हें इक नज़र देख लेना
-
टैग : विसाल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिलों को फ़िक्र-ए-दो-आलम से कर दिया आज़ाद
तिरे जुनूँ का ख़ुदा सिलसिला दराज़ करे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हम जौर-परस्तों पे गुमाँ तर्क-ए-वफ़ा का
ये वहम कहीं तुम को गुनहगार न कर दे
-
टैग : वहम
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया
क्या किया मैं ने कि इज़हार-ए-तमन्ना कर दिया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
न हो अभी मगर आख़िर तो क़द्र होगी मिरी
खुलेगा हाल-ए-ग़ुलाम आप पर ग़ुलाम के बा'द
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ऐ याद-ए-यार देख कि बा-वस्फ़-ए-रंज-ए-हिज्र
मसरूर हैं तिरी ख़लिश-ए-ना-तवाँ से हम
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़िरद का नाम जुनूँ पड़ गया जुनूँ का ख़िरद
जो चाहे आप का हुस्न-ए-करिश्मा-साज़ करे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
छेड़ नाहक़ न ऐ नसीम-ए-बहार
सैर-ए-गुल का यहाँ किसे है दिमाग़
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इक़रार है कि दिल से तुम्हें चाहते हैं हम
कुछ इस गुनाह की भी सज़ा है तुम्हारे पास
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उन को याँ वादे पे आ लेने दे ऐ अब्र-ए-बहार
जिस क़दर चाहना फिर बाद में बरसा करना
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बे-ज़बानी तर्जुमान-ए-शौक़ बेहद हो तो हो
वर्ना पेश-ए-यार काम आती है तक़रीरें कहीं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल
सुल्ह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क़फ़स में हो दिल-ए-बुलबुल शहीद-ए-जल्वा-ए-गुल
ख़िज़ाँ ने जो न किया था वो अब बहार करे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ग़ुर्बत की सुब्ह में भी नहीं है वो रौशनी
जो रौशनी कि शाम-ए-सवाद-ए-वतन में था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
छेड़ा है दस्त-ए-शौक़ ने मुझ से ख़फ़ा हैं वो
गोया कि अपने दिल पे मुझे इख़्तियार है
-
टैग : ख़फ़ा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बद-गुमाँ आप हैं क्यूँ आप से शिकवा है किसे
जो शिकायत है हमें गर्दिश-ए-अय्याम से है
-
टैग : शिकवा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़ंदा-ए-अहल-ए-जहाँ की मुझे पर्वा क्या है
तुम भी हँसते हो मिरे हाल पे रोना है यही
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बरसात के आते ही तौबा न रही बाक़ी
बादल जो नज़र आए बदली मेरी नीयत भी
समझे हैं अहल-ए-शर्क़ को शायद क़रीब-ए-मर्ग
मग़रिब के यूँ हैं जमा ये ज़ाग़ ओ ज़ग़न तमाम
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
लगा कर आँख इस जान-ए-जहाँ से
न होगा अब किसी से आश्ना दिल
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मालूम सब है पूछते हो फिर भी मुद्दआ'
अब तुम से दिल की बात कहें क्या ज़बाँ से हम
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दावा-ए-आशिक़ी है तो 'हसरत' करो निबाह
ये क्या के इब्तिदा ही में घबरा के रह गए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
'हसरत' जो सुन रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का हाल
इस में भी कुछ फ़रेब तिरी दास्ताँ के हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सभी कुछ हो चुका उन का हमारा क्या रहा 'हसरत'
न दीं अपना न दिल अपना न जाँ अपनी न तन अपना
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मानूस हो चला था तसल्ली से हाल-ए-दिल
फिर तू ने याद आ के ब-दस्तूर कर दिया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी
इक तुर्फ़ा तमाशा है 'हसरत' की तबीअत भी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कोशिशें हम ने कीं हज़ार मगर
इश्क़ में एक मो'तबर न हुई
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रात दिन नामा-ओ-पैग़ाम कहाँ तक दोगे
साफ़ कह दीजिए मिलना हमें मंज़ूर नहीं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कभी की थी जो अब वफ़ा कीजिएगा
मुझे पूछ कर आप क्या कीजिएगा
-
टैग : वफ़ा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
फिर और तग़ाफ़ुल का सबब क्या है ख़ुदाया
मैं याद न आऊँ उन्हें मुमकिन ही नहीं है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मिरा इश्क़ भी ख़ुद-ग़रज़ हो चला है
तिरे हुस्न को बेवफ़ा कहते कहते
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बहारें हम को भूलीं याद इतना है कि गुलशन में
गरेबाँ चाक करने का भी इक हंगाम आया था
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो उन के सुख़न में थी
इक लर्ज़िश-ए-ख़फ़ी मिरे सारे बदन में थी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रानाई-ए-ख़याल को ठहरा दिया गुनाह
वाइज़ भी किस क़दर है मज़ाक़-ए-सुख़न से दूर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड