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हिज्र नाज़िम अली ख़ान

1880 - 1914 | रामपुर, भारत

दाग़ देहलवी के शागिर्द। कम उम्र में देहांत हुआ

दाग़ देहलवी के शागिर्द। कम उम्र में देहांत हुआ

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

ग़ज़ल 6

अशआर 12

कुछ ख़बर है तुझे चैन से सोने वाले

रात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा

उस बज़्म में जो कुछ नज़र आया नज़र आया

अब कौन बताए कि हमें क्या नज़र आया

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हिज्र वक़्त टल नहीं सकता है मौत का

लेकिन ये देखना है कि मिट्टी कहाँ की है

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हाँ हाँ तुम्हारे हुस्न की कोई ख़ता नहीं

मैं हुस्न-ए-इत्तिफ़ाक़ से दीवाना हो गया

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कभी ये फ़िक्र कि वो याद क्यूँ करेंगे हमें

कभी ख़याल कि ख़त का जवाब आएगा

पुस्तकें 1

 

ऑडियो 3

तुम भी निगाह में हो अदू भी नज़र में है

वो शोख़ बाम पे जब बे-नक़ाब आएगा

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

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