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हीरानंद सोज़

1922 - 2002 | फरीदाबाद, भारत

हीरानंद सोज़

ग़ज़ल 6

अशआर 3

अपने घरों के कर दिए आँगन लहू लहू

हर शख़्स मेरे शहर का क़ाबील हो गया

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अजीब हाल था अहद-ए-शबाब में दिल का

मुझे गुनाह भी कार-ए-सवाब लगता था

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जनाज़े वालो चुपके क़दम बढ़ाए चलो

उसी का कूचे है टुक करते हाए हाए चलो

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पुस्तकें 9

 

चित्र शायरी 1

 

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