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जावेद अख़्तर

1945 | मुंबई, भारत

फ़िल्म स्क्रिप्ट- राइटर , गीतकार और शायर। ' शोले ' और ' दीवार ' जैसी फ़िल्मों के लिए प्रसिद्ध

फ़िल्म स्क्रिप्ट- राइटर , गीतकार और शायर। ' शोले ' और ' दीवार ' जैसी फ़िल्मों के लिए प्रसिद्ध

जावेद अख़्तर

ग़ज़ल 52

नज़्म 32

अशआर 48

कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है

मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी

जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता

मुझे पामाल रस्तों का सफ़र अच्छा नहीं लगता

मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है

किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता

तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे

अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है

डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से

लेकिन एक सफ़र पर दिल अब जाना तो होगा

क़ितआ 4

 

पुस्तकें 27

चित्र शायरी 4

 

वीडियो 50

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

जावेद अख़्तर

जावेद अख़्तर

At a mushaira

जावेद अख़्तर

Fasaad ke baad - a nazm

जावेद अख़्तर

Hamare shauq ki ye inteha thi

जावेद अख़्तर

Javed Akhtar Explains the Ghazal

जावेद अख़्तर

Kabir ke dohon se, Mir ki shayari tak

जावेद अख़्तर

Kal Jahaan deewar thi hai aaj ek dar dekhiye

जावेद अख़्तर

Reciting own poetry

जावेद अख़्तर

ये खेल क्या है

मिरे मुख़ालिफ़ ने चाल चल दी है जावेद अख़्तर

kal jahaan diivaar thi hai aaj

जावेद अख़्तर

कल जहाँ दीवार थी है आज इक दर देखिए

जावेद अख़्तर

कल जहाँ दीवार थी है आज इक दर देखिए

जावेद अख़्तर

ज़रा मौसम तो बदला है मगर पेड़ों की शाख़ों पर नए पत्तों के आने में अभी कुछ दिन लगेंगे

जावेद अख़्तर

जिधर जाते हैं सब जाना उधर अच्छा नहीं लगता

जावेद अख़्तर

जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो

जावेद अख़्तर

निगल गए सब की सब समुंदर ज़मीं बची अब कहीं नहीं है

जावेद अख़्तर

भूक

आँख खुल गई मेरी जावेद अख़्तर

शबाना

ये आए दिन के हंगामे जावेद अख़्तर

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