1927 - 2012 | लंदन, यूनाइटेड किंगडम
बहुत हैं सज्दा-गाहें पर दर-ए-जानाँ नहीं मिलता
हज़ारों देवता हैं हर तरफ़ इंसाँ नहीं मिलता
घुटन तो दिल की रही क़स्र-ए-मरमरीं में भी
न रौशनी से हुआ कुछ न कुछ हवा से हुआ
न आए तुम न आओ तुम कि अब आने से क्या हासिल
ख़ुद अब तो हम से अपनी शक्ल पहचानी नहीं जाती
मिरी जाँ तेरी ख़ातिर जाँ का सौदा
बहुत महँगा भी है दुश्वार भी है
तुम्हारे नाम पे दिल अब भी रुक सा जाता है
ये बात वो है कि इस से मफ़र नहीं होता
अहकाम-ए-अालमगीरी
2005
Ahkam-e-Alamgiri
2011
अहकाम-ए-आलमगीरी
1993
Gulistan-e-Sadi
1982
हज-ए-अकबर
इन्तिख़ाब-ए-कलाम-ए-अकबर इलाहाबादी
2002
जनाब मौलाना हामिद हसन क़ादिरी एंड दी आर्ट ऑफ़ दी करोनोग्राम
1989
ख़ुलासा-ए-तारीख़
ख़ुतूत-ए-मौलाना क़ादरी
1999
Lafziyaat
Hazar Alfaz Ke Maani
नई आवाज़
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