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ख़ुर्शीद रिज़वी

1942 | पाकिस्तान

लोकप्रिय आधुनिक शायर

लोकप्रिय आधुनिक शायर

ख़ुर्शीद रिज़वी

ग़ज़ल 53

नज़्म 15

अशआर 27

तू मुझे बनते बिगड़ते हुए अब ग़ौर से देख

वक़्त कल चाक पे रहने दे रहने दे मुझे

आख़िर को हँस पड़ेंगे किसी एक बात पर

रोना तमाम उम्र का बे-कार जाएगा

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तमाम उम्र अकेले में तुझ से बातें कीं

तमाम उम्र तिरे रू-ब-रू ख़मोश रहे

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ये दौर वो है कि बैठे रहो चराग़-तले

सभी को बज़्म में देखो मगर दिखाई दो

बस दरीचे से लगे बैठे रहे अहल-ए-सफ़र

सब्ज़ा जलता रहा और याद-ए-वतन आती रही

पुस्तकें 7

 

चित्र शायरी 2

 

वीडियो 32

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

ख़ुर्शीद रिज़वी

Dr. Khurshid Rizvi at a mushaira

ख़ुर्शीद रिज़वी

Khurshid Rizvi at a mushaira in Pakistan in 2011

ख़ुर्शीद रिज़वी

sab kahe deti hai ashkon ki ravani afsos

ख़ुर्शीद रिज़वी

गो नज़र अक्सर वो हुस्न-ए-ला-ज़वाल आ जाएगा

ख़ुर्शीद रिज़वी

गो नज़र अक्सर वो हुस्न-ए-ला-ज़वाल आ जाएगा

ख़ुर्शीद रिज़वी

फिर वो गुम-गश्ता हवाले मुझे वापस कर दे

ख़ुर्शीद रिज़वी

यूँ तो वो शक्ल खो गई गर्दिश-ए-माह-ओ-साल में

ख़ुर्शीद रिज़वी

ये जो नंग थे ये जो नाम थे मुझे खा गए

ख़ुर्शीद रिज़वी

ये जो नंग थे ये जो नाम थे मुझे खा गए

ख़ुर्शीद रिज़वी

Recitation

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