aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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Kunwar Mahendra Singh Bedi Sahar's Photo'

कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर

1909 - 1992 | दिल्ली, भारत

कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर

ग़ज़ल 53

नज़्म 3

 

अशआर 18

हम उन के सितम को भी करम जान रहे हैं

और वो हैं कि इस पर भी बुरा मान रहे हैं

मुस्कुराना कभी रास आया

हर हँसी एक वारदात बनी

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आएँ हैं समझाने लोग

हैं कितने दीवाने लोग

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उठा सुराही ये शीशा वो जाम ले साक़ी

फिर इस के बाद ख़ुदा का भी नाम ले साक़ी

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मरना तो लाज़िम है इक दिन जी भर के अब जी तो लूँ

मरने से पहले मर जाना मेरे बस की बात नहीं

क़िस्सा 12

पुस्तकें 18

चित्र शायरी 2

 

वीडियो 7

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर

At a mushaira

कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर

Emirates Mushaira

कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर

Phir chale baad-e-bahaari phir chale baad-e-muraad

कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर

Rashke shadd arshe

कँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर

ऑडियो 5

इन शोख़ हसीनों की निराली है अदा भी

ख़िज़ाँ में भी बहार-ए-जावेदाँ मालूम होती है

तक़दीर के लिखे से सिवा बन गए हैं हम

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