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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Mahesh Chandra Naqsh's Photo'

महेश चंद्र नक़्श

1923 - 1980 | दिल्ली, भारत

डी टी सी ट्रैफिक इंस्पेक्टर,ग़ज़लों और क़ितआत के लिए मशहूर

डी टी सी ट्रैफिक इंस्पेक्टर,ग़ज़लों और क़ितआत के लिए मशहूर

महेश चंद्र नक़्श

ग़ज़ल 26

अशआर 25

तस्कीन दे सकेंगे जाम-ओ-सुबू मुझे

बेचैन कर रही है तिरी आरज़ू मुझे

दुनिया से हट के इक नई दुनिया बना सकें

कुछ अहल-ए-आरज़ू इसी हसरत में मर गए

मेरी ख़ामोशियों के आलम में

गूँज उठती है आप की आवाज़

मोहब्बत का उन को यक़ीं चला है

हक़ीक़त बने जा रहे हैं फ़साने

हाल कह देते हैं नाज़ुक से इशारे अक्सर

कितनी ख़ामोश निगाहों की ज़बाँ होती है

क़ितआ 23

पुस्तकें 7

 

चित्र शायरी 1

 

ऑडियो 5

ज़िंदगी किस मक़ाम से गुज़री

जिस को निस्बत हो तुम्हारे नाम से

नूर-ओ-निकहत की ये बरसात कहाँ थी पहले

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