Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Mahwar Sirsivi's Photo'

महवर सिरसिवी

2002 | लखनऊ, भारत

महवर सिरसिवी

ग़ज़ल 29

नज़्म 2

 

अशआर 45

इक हाथ में मेरे चाय का कप इक हाथ में मेरे हाथ तिरा

हाथों को तलब है हाथों की और दिल को तलब है साथ तिरा

  • शेयर कीजिए

है मुक़द्दर में ज़ुलेख़ा से जुदाई शायद

ख़्वाब में मिस्र के बाज़ार नज़र आते हैं

  • शेयर कीजिए

मुस्कुराता हूँ तो रोता है मिरा ज़ख़्म-ए-जिगर

रोने लगता हूँ तो होंटों को चुभन होती है

  • शेयर कीजिए

अपने हाथों को चूमता होगा

तेरी ज़ुल्फ़ें सँवारने वाला

  • शेयर कीजिए

उल्फ़त तो देखिए मिरी दीदार के सबब

दरवेश बन के यार की चौखट पे गया

  • शेयर कीजिए

"लखनऊ" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

बोलिए