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मज़हर इमाम

1928 - 2012 | दिल्ली, भारत

प्रमुखतम आधुकि शायरों में विख्यात/दूर दर्शन से संबंध

प्रमुखतम आधुकि शायरों में विख्यात/दूर दर्शन से संबंध

मज़हर इमाम

ग़ज़ल 62

नज़्म 5

 

अशआर 27

दोस्तों से मुलाक़ात की शाम है

ये सज़ा काट कर अपने घर जाऊँगा

आप को मेरे तआरुफ़ की ज़रूरत क्या है

मैं वही हूँ कि जिसे आप ने चाहा था कभी

अब तो कुछ भी याद नहीं है

हम ने तुम को चाहा होगा

एक मैं ने ही उगाए नहीं ख़्वाबों के गुलाब

तू भी इस जुर्म में शामिल है मिरा साथ छोड़

उस घर की बदौलत मिरे शेरों को है शोहरत

वो घर कि जो इस शहर में बदनाम बहुत है

रेखाचित्र 2

 

पुस्तकें 931

चित्र शायरी 4

 

वीडियो 4

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दिलीप कुमार

इक गुज़ारिश है बस इतना कीजिए

अहमद हुसैन, मोहम्मद हुसैन

तू है गर मुझ से ख़फ़ा ख़ुद से ख़फ़ा हूँ मैं भी

अज्ञात

ये तजरबा भी करूँ ये भी ग़म उठाऊँ मैं

हरिहरण

ऑडियो 8

ज़लज़ले सब दिल के अंदर हो गए

ज़िंदगी काविश-ए-बातिल है मिरा साथ न छोड़

टूटी हुई दीवार का साया तो नहीं हूँ

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