संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल89
नज़्म75
शेर120
ई-पुस्तक11
टॉप 20 शायरी 20
चित्र शायरी 15
ऑडियो 34
वीडियो24
ब्लॉग1
अन्य
मोहम्मद अल्वी
ग़ज़ल 89
नज़्म 75
अशआर 120
धूप ने गुज़ारिश की
एक बूँद बारिश की
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू
ख़ास मौक़ों पे मज़ा देते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
आज फिर मुझ से कहा दरिया ने
क्या इरादा है बहा ले जाऊँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अंधेरा है कैसे तिरा ख़त पढ़ूँ
लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अब तो चुप-चाप शाम आती है
पहले चिड़ियों के शोर होते थे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
पुस्तकें 11
चित्र शायरी 15
कोई हादसा कोई सानेहा कोई बहुत ही बुरी ख़बर अभी कहीं से आएगी! ऐसी जान-लेवा फ़िक्रों में सारा दिन डूबा रहता हूँ रात को सोने से पहले अपने-आप से कहता हूँ भाई मिरे दिन ख़ैर से गुज़रा घर में सब आराम से हैं कल की फ़िक्रें कल के लिए उठा रक्खो मुमकिन हो तो अपने-आप को मौत की नींद सुला रक्खो!!
और कोई चारा न था और कोई सूरत न थी उस के रहे हो के हम जिस से मोहब्बत न थी इतने बड़े शहर में कोई हमारा न था अपने सिवा आश्ना एक भी सूरत न थी इस भरी दुनिया से वो चल दिया चुपके से यूँ जैसे किसी को भी अब उस की ज़रूरत न थी अब तो किसी बात पर कुछ नहीं होता हमें आज से पहले कभी ऐसी तो हालत न थी सब से छुपाते रहे दिल में दबाते रहे तुम से कहें किस लिए ग़म था वो दौलत न थी अपना तो जो कुछ भी था घर में पड़ा था सभी थोड़ा बहुत छोड़ना चोर की आदत न थी ऐसी कहानी का मैं आख़िरी किरदार था जिस में कोई रस न था कोई भी औरत न थी शेर तो कहते थे हम सच है ये 'अल्वी' मगर तुम को सुनाते कभी इतनी भी फ़ुर्सत न थी