मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
ग़ज़ल 41
नज़्म 37
शेर 14
रोती हुई एक भीड़ मिरे गिर्द खड़ी थी
शायद ये तमाशा मिरे हँसने के लिए था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मुझ से मत बोलो मैं आज भरा बैठा हूँ
सिगरेट के दोनों पैकेट बिल्कुल ख़ाली हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
शुक्रिया रेशमी दिलासे का
तीर तो आप ने भी मारा था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
सुनाइए वो लतीफ़ा हर एक जाम के साथ
कि एक बूँद से ईमान टूट जाता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
सुनता हूँ कि तुझ को भी ज़माने से गिला है
मुझ को भी ये दुनिया नहीं रास आई इधर आ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए