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कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता
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हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
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धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
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कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन
फिर इस के ब'अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर
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दोहा 12
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हर तरफ़ हर जगह बे-शुमार आदमी फिर भी तन्हाइयों का शिकार आदमी सुब्ह से शाम तक बोझ ढोता हुआ अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ हर नए दिन नया इंतिज़ार आदमी घर की दहलीज़ से गेहूँ के खेत तक चलता फिरता कोई कारोबार आदमी ज़िंदगी का मुक़द्दर सफ़र-दर-सफ़र आख़िरी साँस तक बे-क़रार आदमी
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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

Nida fazli was born in Delhi. Nida Fazli is a poet lyricist. He moved to Mumbai in a search for job in the early days of his career.His poetic style attracted the notice of filmmakers and writer of Hindi and Urdu literature. He recited his poetry for Rekhta.org निदा फ़ाज़ली

Nida fazli was born in Delhi. Nida Fazli is a poet lyricist. He moved to Mumbai in a search for job in the early days of his career.His poetic style attracted the notice of filmmakers and writer of Hindi and Urdu literature. He recited his poetry for Rekhta.org निदा फ़ाज़ली
