क़मर जमील
ग़ज़ल 18
नज़्म 19
अशआर 4
अपनी नाकामियों पे आख़िर-ए-कार
मुस्कुराना तो इख़्तियार में है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
एक पत्थर कि दस्त-ए-यार में है
फूल बनने के इंतिज़ार में है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
या इलाहाबाद में रहिए जहाँ संगम भी हो
या बनारस में जहाँ हर घाट पर सैलाब है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हम सितारों की तरह डूब गए
दिन क़यामत के इंतिज़ार में है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
लेख 15
पुस्तकें 66
वीडियो 27
This video is playing from YouTube