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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Rafia Shabnam Abidi's Photo'

रफ़ीआ शबनम आबिदी

1943 | मुंबई, भारत

रफ़ीआ शबनम आबिदी

ग़ज़ल 15

नज़्म 23

अशआर 6

ख़ुद-कुशी क़त्ल-ए-अना तर्क-ए-तमन्ना बैराग

ज़िंदगी तेरे नज़र आने लगे हल कितने

किस सलीक़े से ख़यालों को ज़बाँ दे दे कर

मुझ को उस शख़्स ने बातों में लगाए रखा

मुझे तो याद है अब तक वो क्या ज़माना था

तिरे जवाब का मौसम मिरे सवाल के दिन

मिरी बातें हमेशा ही तुम्हें यूँही सी लगती हैं तो मत सुनना

मगर कुछ हो ही जाए तो पछताओ घबराओ कहा था ना

सब से बड़ा ये जुर्म था मेरा इसी लिए बदनाम हुई

सारी दुनिया जहाँ गिरी थी उसी मोड़ पर संभली मैं

बच्चों की कहानी 2

 

गीत 1

 

पुस्तकें 28

ऑडियो 7

अब्र छाया था फ़ज़ाओं में तिरी बातों का

ख़ुद-फ़रेबी है दग़ा-बाज़ी है अय्यारी है

घिरे हैं चारों तरफ़ बेकसी के बादल फिर

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